स्पेशल रिपोर्ट : के.रवि ( दादा )
बॉलीवुड इंडस्ट्री में हम पिचके 30 सालो में जनसंपर्क अधिकारी यानी के आज के भाषा मेे पिआर के रूप में श्री . आर आर पाटक , गोपाल पांडे , अरुण गजा , गजा राजा , बि के वर्मा , बन्नी रूबेन , इंद्रजीत औरंगाबादकर , राजू कारिया जैसे कई लोगो को फिल्म की , या किसी भी इवेंट की , या किसी कलाकार या फिल्मी पार्टी को पब्लिसिटी दिलाने के लिए दिन रात एक करते हमने आंखो से देखा है . पिआरओ आर आर पाटक जी के बारे में उन दिनों कहा जाता के यदि वे नहीं होते तो राजेश खन्ना की सुपर स्टार नहीं होते .इतनी सारी पब्लीसिटी उन्हें उस दौर में आर आर पाठक जी ने दिलवाई थी . पर अभी के बॉलीवुड
पिआर इंडस्ट्री में काफी बदलाव सा चुका हैं .हा यह सही है बदलाव सृष्टि का नियम हैं .पर वह नियम भी लोगो को भा जाने वाला हो तो और बात है .पर ऐसे ही सभी को संभालकर अपने पीआर को बखूबी से निभाते हुए ,एक ऊंचा मुकाम हासिल की हुई मशहूर महिला पत्रकार , निर्देशक और पिआरओ का नाम हैं अनुषा श्रीनिवासन . अनुषा सिर्फ एक फिल्मी पीआर ओ ही नहीं बल्कि कुदरत ने उनके अंदर काफी गुणों को कुट कूट के भरा है .इस साल के यानी के 8 मार्च 2020 के जागतिक़ महिला दिवस के अवसर पर हम इस विशेष महिला के बारे मेे इस विशेष रिपोर्ट में बता रहे हैं .
मानव जाति द्वारा पर्यावरण को पहुंचाये गये नुकसान की भरपाई का बीड़ा मेक ग्रीन अर्थ अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन ने उठाया है. यह फ़ाउंडेशन पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक जागरुक संगठन है, जो धरती मां और उनके बच्चों को बचाए रखने के लिए प्रयत्नशील है. इस संगठन से धरती को बचाने की कोशिशों में जुटी अनुषा श्रीनिवासन अय्यर , निमल राघवन व वेदांत की दिमागी उपज है. उनका यह फ़ाउंडेशन विभिन्न तरीके से न सिर्फ़ धरती को हरा-भरा बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है, बल्कि यह युवाओं को साथ लेकर पर्यावरण बचाने के प्रति उन्हें समर्पित करने के लिए प्रेरित भी करता है क्योंकि पर्यावरण बचेगा तो हम बचेंगे.
*बदलाव का वैश्विक ज़रिया*
समान विचारधारा रखनेवाले लोगों, पर्यावरण संरक्षण में जुटे कार्यकर्ताओं और संगठनों को साथ लाने में मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन एक अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में फ़ाउंडेशन की ओर से #DeltaSaplingChallenge की पहल की गई थी, जिसके माध्यम से कावेरी डेल्टा क्षेत्र में किसानों को एक लाख से अधिक पौधे बांटे गये थे.
#BounceBackDelta के ज़रिए इसी डेल्टा क्षेत्र में 100 गांवों का पुनर्वास किया गया था. इसके बाद झीलों को मुक्त करने का अभियान चलाया गया और वनक्षेत्र में इज़ाफ़ा करने की कोशिशों के तहत चार लाख पौधे लगाये गये. फ़ाउंडेशन की टीम एक अनूठी तक़नीक के माध्यम से कर्नाटक के बैंगलुरू में वन क्षेत्र को बढ़ाने के एक बड़े अभियान में संलग्न है. इसके तहत इन शहरी इलाकों में दुनिया भर से मंगाए गये पौधे लगाये जाएंगे. इसके बाद यही प्रयोग मुंबई , नई दिल्ली और राजस्थान में किया जाएगा.
मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन तमिलनाडु जिले के थांजावुर और पुडुकोट्टाई इलाकों में स्थित सरकारी स्कूलों के साथ भी करीब से जुड़ा है और उसने एक स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करने और कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करने की भी पहल की है. फ़ाउंडेशन मूक-बधिर बच्चों से संबंधित संस्थानों की भी सहायता करता है.
*जानवरों को आश्रय*
Pawsitive फार्म सैंक्चुरी के माध्यम से पशुओं को बचाने के काम को भी अंजाम दिया जा रहा है. इसके तहत अब तक 111 कुत्तों और बिल्लियों को पनाह दी गई है. उल्लेखनीय है कि मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन के मातहत आनेवाला Pawsitive फार्म सैंक्चुरी अब ख़ुद को हर तरह के ज़रूरतमंद पशु के लिए आश्रय में तब्दील करने की कोशिशों में जुटा है . बूढ़े, बेसहारा छोड़ दिये गये और विकलांग गायों को गौशाला में पनाह दी जाएगी, गधों और घोड़ों को रहने के लिए भी एक ख़ुशनुमां माहौल तैयार किया जाएगा. फ़ाउंडेशन भविष्य में जंगली जानवरों के बचाव व उनके पुनर्वास की भी योजना रखता है.
पर्यावरण पर प्लास्टिक के दुष्प्रभावों को देखते हुए फ़ाउंडेशन एक बार इस्तेमाल की जानेवाले प्लास्टिक को बैन किये जाने से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा ले रही है. इस तरह से यह फ़ाउंडेशन वन्य जीवों व समुद्री जीवों पर प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों से संबंधित जागरुकता फ़ैलाने में भी सक्रिय है. फ़ाउंडेशन ने शहरों में वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए मियावाकी तक़नीक के इस्तेमाल से मुंबई और फिर महाराष्ट्र में पांच लाख पेड़ लगाने का भी बीड़ा उठाया हुआ है. इस तरह से एक ऑक्सीजन बेल्ट के निर्माण की कोशिशें जारी हैं.
मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन को वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने, एसिड हमलों का शिकार हुई लड़कियों के पुर्नवास, लैंगिग समानता, LGBTQ के सशक्तिकरण, बेसहारा बच्चों के कल्याण, दिव्यांग लोगों को अपनी संभावनाओं को संपूर्ण तरीके से पहचानने, नेक मक़सद के लिए फ़िल्ममेकिंग और युवाओं को जीने के तौर-तरीकों से संबंधित कोचिंग के लिए जाना जाता है.
*मिट्टी से जुड़ने का मौका*
प्राचीन समय में खेती के दौरान कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता था और जैविक तरीके से खेती की जाती थी. इसी से सबक लेते हुए मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन ने किसानों और शहरी युवाओं को जैविक खेती के फ़ायदों को बताना शुरू किया. फ़ाउंडेशन जैविक पद्धति का इस्तेमाल करते हुए और ज़मीन को प्रदूषित किये बिना युवाओं और बच्चों को अपनी फ़सलें उगाने का मौका देकर उन्हें मिट्टी से जुड़ने का मौका देती है. लोगों को कीटनाशक के इस्तेमाल के बग़ैर फ़सलें उगाने के लिए प्रेरित कर फ़ाउंडेशन एक स्वस्थ भारत के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता निभा रही है. इसके लिए फ़ाउंडेशन ने आर्थिक रूप से पिछड़े कई बच्चों को आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई है. कुछ इस तरह से धरती को बचानेवाले और योद्धा तैयार हो रहे हैं.
विदेशों में मरनेवाले लोगों की अस्थियों/शवों को भारत वापस लाने का काम भी यह फ़ाउंडेशन करता है ताक़ि संबंधित परिवार मृत लोगों की अंतिम क्रिया कर सके. फ़ाउंडेशन की ओर से अब तक 3000 ऐसे ज़रूरतमंद मरीज़ों की भी मदद की गई है, जिन्हें रक्त की आवश्यकता थी.
*अंतरात्मा की आवाज़*
पत्रकार/लेखक/निर्देशक अनुषा श्रीनिवासन अय्यर एक बेहद लोकप्रिय TEDx स्पीकर, पशु व लैंगिग समानता के लिए लड़नेवाली, पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत शख़्स भी हैं. मुम्बई से ताल्लुक रखनेवाली अनुषा मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन और Pawsitive फार्म सैंक्चुरी को संचालित करनेवाली प्रमुख व्यक्ति भी हैं. इसके अन्य आधारस्तंभ हैं तमिलनाडु के एक छोटे से गांव थांजावुर स्थित नाडियम इलाके से ताल्लुक रखनेवाले निमल राघवन. उन्होंने दुबई में एक टेक कंपनी की अच्छी-ख़ासी नौकरी को तिलांजली दे दी और अपने मन की बात मानकर इस नेक मक़सद से जुड़ गये. आख़िर ऐसा क्या हुआ, जो उन्होंने दुबई की अच्छी नौकरी छोड़ दी? नवंबर 2018 में अपने गांव में छुट्टियां बिताने आये निमल अपने गांव को खस्ता हालत में देखकर बेहद परेशान हो उठे. 'गाज़ा' नामक तूफ़ान से बर्बाद हुए गांव का मंजर देखने के बाद उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनी. उन्होंने इस क्षेत्र के 90 गांवों का नवनिर्माण किया और इस तरह से प्रकृति को बचाने की उनके सफ़र की शुरुआत हुई.
*प्रेरणादायी शख़्स*
अनुषा श्रीनिवासन अय्यर के बारे में और अधिक जानकारी:
तेज़तर्रार पत्रकार के तौर पर अपनी पहचान रखनेवाली अनुषा एक बड़ी दिलवाली शख़्सियत हैं. वे एक जानी-मानी मीडिया स्ट्रैटेजिस्ट व ब्रांड कस्टोडियन हैं. वे एक ग्लोबल अवॉर्ड विनिंग फ़िल्म की लेखक/निर्देशक भी हैं.
तारीख : 8 / 03 / 2020 .
* धरती को बचाने के लिए प्रयासरत महिला योद्धा अनुषा श्रीनिवासन, निमल राघवन और वेदांत ने मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन के ज़रिए दुनिया को फिर से हरा-भरा बनाने का बीड़ा उठाया*
स्पेशल रिपोर्ट : के.रवि ( दादा ) ,,
बॉलीवुड इंडस्ट्री में हम पिचके 30 सालो में जनसंपर्क अधिकारी यानी के आज के भाषा मेे पिआर के रूप में श्री . आर आर पाटक , गोपाल पांडे , अरुण गजा , गजा राजा , बि के वर्मा , बन्नी रूबेन , इंद्रजीत औरंगाबादकर , राजू कारिया जैसे कई लोगो को फिल्म की , या किसी भी इवेंट की , या किसी कलाकार या फिल्मी पार्टी को पब्लिसिटी दिलाने के लिए दिन रात एक करते हमने आंखो से देखा है . पिआरओ आर आर पाटक जी के बारे में उन दिनों कहा जाता के यदि वे नहीं होते तो राजेश खन्ना की सुपर स्टार नहीं होते .इतनी सारी पब्लीसिटी उन्हें उस दौर में आर आर पाठक जी ने दिलवाई थी . पर अभी के बॉलीवुड
पिआर इंडस्ट्री में काफी बदलाव सा चुका हैं .हा यह सही है बदलाव सृष्टि का नियम हैं .पर वह नियम भी लोगो को भा जाने वाला हो तो और बात है .पर ऐसे ही सभी को संभालकर अपने पीआर को बखूबी से निभाते हुए ,एक ऊंचा मुकाम हासिल की हुई मशहूर महिला पत्रकार , निर्देशक और पिआरओ का नाम हैं अनुषा श्रीनिवासन . अनुषा सिर्फ एक फिल्मी पीआर ओ ही नहीं बल्कि कुदरत ने उनके अंदर काफी गुणों को कुट कूट के भरा है .इस साल के यानी के 8 मार्च 2020 के जागतिक़ महिला दिवस के अवसर पर हम इस विशेष महिला के बारे मेे इस विशेष रिपोर्ट में बता रहे हैं .
मानव जाति द्वारा पर्यावरण को पहुंचाये गये नुकसान की भरपाई का बीड़ा मेक ग्रीन अर्थ अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन ने उठाया है. यह फ़ाउंडेशन पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक जागरुक संगठन है, जो धरती मां और उनके बच्चों को बचाए रखने के लिए प्रयत्नशील है. इस संगठन से धरती को बचाने की कोशिशों में जुटी अनुषा श्रीनिवासन अय्यर , निमल राघवन व वेदांत की दिमागी उपज है. उनका यह फ़ाउंडेशन विभिन्न तरीके से न सिर्फ़ धरती को हरा-भरा बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है, बल्कि यह युवाओं को साथ लेकर पर्यावरण बचाने के प्रति उन्हें समर्पित करने के लिए प्रेरित भी करता है क्योंकि पर्यावरण बचेगा तो हम बचेंगे.
*बदलाव का वैश्विक ज़रिया*
समान विचारधारा रखनेवाले लोगों, पर्यावरण संरक्षण में जुटे कार्यकर्ताओं और संगठनों को साथ लाने में मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन एक अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में फ़ाउंडेशन की ओर से #DeltaSaplingChallenge की पहल की गई थी, जिसके माध्यम से कावेरी डेल्टा क्षेत्र में किसानों को एक लाख से अधिक पौधे बांटे गये थे.
#BounceBackDelta के ज़रिए इसी डेल्टा क्षेत्र में 100 गांवों का पुनर्वास किया गया था. इसके बाद झीलों को मुक्त करने का अभियान चलाया गया और वनक्षेत्र में इज़ाफ़ा करने की कोशिशों के तहत चार लाख पौधे लगाये गये. फ़ाउंडेशन की टीम एक अनूठी तक़नीक के माध्यम से कर्नाटक के बैंगलुरू में वन क्षेत्र को बढ़ाने के एक बड़े अभियान में संलग्न है. इसके तहत इन शहरी इलाकों में दुनिया भर से मंगाए गये पौधे लगाये जाएंगे. इसके बाद यही प्रयोग मुंबई , नई दिल्ली और राजस्थान में किया जाएगा.
मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन तमिलनाडु जिले के थांजावुर और पुडुकोट्टाई इलाकों में स्थित सरकारी स्कूलों के साथ भी करीब से जुड़ा है और उसने एक स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में परिवर्तित करने और कम्प्यूटर शिक्षा प्रदान करने की भी पहल की है. फ़ाउंडेशन मूक-बधिर बच्चों से संबंधित संस्थानों की भी सहायता करता है.
*जानवरों को आश्रय*
Pawsitive फार्म सैंक्चुरी के माध्यम से पशुओं को बचाने के काम को भी अंजाम दिया जा रहा है. इसके तहत अब तक 111 कुत्तों और बिल्लियों को पनाह दी गई है. उल्लेखनीय है कि मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन के मातहत आनेवाला Pawsitive फार्म सैंक्चुरी अब ख़ुद को हर तरह के ज़रूरतमंद पशु के लिए आश्रय में तब्दील करने की कोशिशों में जुटा है . बूढ़े, बेसहारा छोड़ दिये गये और विकलांग गायों को गौशाला में पनाह दी जाएगी, गधों और घोड़ों को रहने के लिए भी एक ख़ुशनुमां माहौल तैयार किया जाएगा. फ़ाउंडेशन भविष्य में जंगली जानवरों के बचाव व उनके पुनर्वास की भी योजना रखता है.
पर्यावरण पर प्लास्टिक के दुष्प्रभावों को देखते हुए फ़ाउंडेशन एक बार इस्तेमाल की जानेवाले प्लास्टिक को बैन किये जाने से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा ले रही है. इस तरह से यह फ़ाउंडेशन वन्य जीवों व समुद्री जीवों पर प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों से संबंधित जागरुकता फ़ैलाने में भी सक्रिय है. फ़ाउंडेशन ने शहरों में वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए मियावाकी तक़नीक के इस्तेमाल से मुंबई और फिर महाराष्ट्र में पांच लाख पेड़ लगाने का भी बीड़ा उठाया हुआ है. इस तरह से एक ऑक्सीजन बेल्ट के निर्माण की कोशिशें जारी हैं.
मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन को वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने, एसिड हमलों का शिकार हुई लड़कियों के पुर्नवास, लैंगिग समानता, LGBTQ के सशक्तिकरण, बेसहारा बच्चों के कल्याण, दिव्यांग लोगों को अपनी संभावनाओं को संपूर्ण तरीके से पहचानने, नेक मक़सद के लिए फ़िल्ममेकिंग और युवाओं को जीने के तौर-तरीकों से संबंधित कोचिंग के लिए जाना जाता है.
*मिट्टी से जुड़ने का मौका*
प्राचीन समय में खेती के दौरान कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता था और जैविक तरीके से खेती की जाती थी. इसी से सबक लेते हुए मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन ने किसानों और शहरी युवाओं को जैविक खेती के फ़ायदों को बताना शुरू किया. फ़ाउंडेशन जैविक पद्धति का इस्तेमाल करते हुए और ज़मीन को प्रदूषित किये बिना युवाओं और बच्चों को अपनी फ़सलें उगाने का मौका देकर उन्हें मिट्टी से जुड़ने का मौका देती है. लोगों को कीटनाशक के इस्तेमाल के बग़ैर फ़सलें उगाने के लिए प्रेरित कर फ़ाउंडेशन एक स्वस्थ भारत के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता निभा रही है. इसके लिए फ़ाउंडेशन ने आर्थिक रूप से पिछड़े कई बच्चों को आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई है. कुछ इस तरह से धरती को बचानेवाले और योद्धा तैयार हो रहे हैं.
विदेशों में मरनेवाले लोगों की अस्थियों/शवों को भारत वापस लाने का काम भी यह फ़ाउंडेशन करता है ताक़ि संबंधित परिवार मृत लोगों की अंतिम क्रिया कर सके. फ़ाउंडेशन की ओर से अब तक 3000 ऐसे ज़रूरतमंद मरीज़ों की भी मदद की गई है, जिन्हें रक्त की आवश्यकता थी.
*अंतरात्मा की आवाज़*
पत्रकार/लेखक/निर्देशक अनुषा श्रीनिवासन अय्यर एक बेहद लोकप्रिय TEDx स्पीकर, पशु व लैंगिग समानता के लिए लड़नेवाली, पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत शख़्स भी हैं. मुम्बई से ताल्लुक रखनेवाली अनुषा मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन और Pawsitive फार्म सैंक्चुरी को संचालित करनेवाली प्रमुख व्यक्ति भी हैं. इसके अन्य आधारस्तंभ हैं तमिलनाडु के एक छोटे से गांव थांजावुर स्थित नाडियम इलाके से ताल्लुक रखनेवाले निमल राघवन. उन्होंने दुबई में एक टेक कंपनी की अच्छी-ख़ासी नौकरी को तिलांजली दे दी और अपने मन की बात मानकर इस नेक मक़सद से जुड़ गये. आख़िर ऐसा क्या हुआ, जो उन्होंने दुबई की अच्छी नौकरी छोड़ दी? नवंबर 2018 में अपने गांव में छुट्टियां बिताने आये निमल अपने गांव को खस्ता हालत में देखकर बेहद परेशान हो उठे. 'गाज़ा' नामक तूफ़ान से बर्बाद हुए गांव का मंजर देखने के बाद उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनी. उन्होंने इस क्षेत्र के 90 गांवों का नवनिर्माण किया और इस तरह से प्रकृति को बचाने की उनके सफ़र की शुरुआत हुई.
*प्रेरणादायी शख़्स*
अनुषा श्रीनिवासन अय्यर के बारे में और अधिक जानकारी:
एक तेज़तर्रार पत्रकार के तौर पर अपनी पहचान रखनेवाली अनुषा एक बड़ी दिलवाली शख़्सियत हैं. वे एक जानी-मानी मीडिया स्ट्रैटेजिस्ट व ब्रांड कस्टोडियन हैं. वे एक ग्लोबल अवॉर्ड विनिंग फ़िल्म की लेखक/निर्देशक भी हैं. बाल मज़दूरी, उम्मीदों और ख़ुशियों पर बनाई गई उनकी फ़िल्म को दुनियाभर में ख़ूब वाहवाही मिली. उन्हें अपने अंदर की वीरांगना को जगाने जैसे विषय की सीरीज़ के ज़रिए युवाओं और कॉलेज स्टूडेंट्स को प्रेरित करने के लिए भी जाना जाता है. इस विषय के तहत वे बताती हैं कि कैसे हर महिला के भीतर एक योद्धा छिपी होती है, जिसे महज़ जगाने की ज़रूरत होती है. इसके ज़रिए वे महिलाओं को उनके दिलों में बसी ताक़त को बताने का प्रयास करती हैं.
*मान और सम्मान*
मेक ग्रीन अर्थ अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन को चलाने के पीछे की ताक़त अनुषा श्रीनिवासन अय्यर, निमल राघवन और वेदांत को विभिन्न मौकों पर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया है. इनमें से कुछ पुरस्कारों में लाइफ़्ज़ रियल हीरोज़ ऑफ़ इंडिया 2019, द इकोनॉमिक्स टाइम्स आइकन अवॉर्ड फॉर स्ट्रैटिजिक ब्रांडमेकर ऐंड सोशल आंत्रप्योनोरशिप, द ET राइज़िंग इंडियन ऑफ़ द इकोनॉमिक्स टाइम्स अवॉर्ड, नैशनल एक्सेलेंस अवॉर्ड, इंस्पायर अवॉर्ड, दादासाहेब फ़ाल्के फ़िल्म फ़ाउंडेशन अवॉर्ड, मैं हूं बेटी अवॉर्ड, समाज रत्न अवॉर्ड, आइकॉनिक अचीवर्स अवॉर्ड, परफ़ेक्ट अचीवर्स अवॉर्ड, कार्मिक अवॉर्ड्, नैशनल सम्मिट ऑफ़ होलिस्टिक साइंसेस में इगैलिटेरियन अर्थ वॉरिअर अवॉर्ड और सामाजिक कार्यों के लिए MAEER द्वारा स्थापित MIT पुणे की ओर से अवॉर्ड मिल चुके हैं. इनके अलावा श्री समर्थ स्वामी अन्नाक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से द नैशनल वेलनेस अवॉर्ड भी मिला था. इसके अतिरिक्त बाल मजदूरी व मानवता पर बनाई गई फ़िल्म 'द वर्ल्ड इन माई ड्रीम्स' को 68 ग्लोबल अवॉर्ड्स मिल चुके हैं और दुनियाभर में इस फ़िल्म की 120 स्क्रीनिंग्स हो चुकीं हैं. फ़िल्म को दुनियाभर में ख़ूब सराहा गया.
*बदलाव का बनें सबब*
मेक द अर्थ ग्रीन (MEGA) फ़ाउंडेशन का मानना है कि हमें ख़ुद एक मिसाल के तौर पर पेश आना चाहिए ताक़ि अन्य लोग जो बदलाव लाने में यकीन रखते हैं, हमसे जुड़ें. फ़ाउंडेशन का मानना है कि ख़ुद बदलाव का सबब बनने के बाद वे लोगों को इस बात से अवगत करा सकते हैं कि किस तरह के लोग इस धरती की परवाह करते हैं... हम सबके साझा प्रयासों से ही यह संभव है! परस्पर संवाद से जुड़े दुनियाभर के अपने अभियानों, जागरुकता कार्यक्रमों और प्रभावी ढंग से वृक्षारोपण अभियानों के माध्यम से फ़ाउंडेशन पर्यावरण को बचाकर ख़ुद को बचाने के प्रयत्नों में लगा हुआ है. इसी के तहत हमने पूरे महाराष्ट्र में पांच लाख पेड़ लगाने की शुरुआत कर दी है. सूख चुके कुंओं को रेनवॉटर हार्वेस्टिंग में तब्दील करने और भूजल के स्तर को बढ़ाने की कोशिशें भी जारी हैं.
*MEGA राय*
अनुषा श्रीनिवासन अय्यर सवाल उठाते हुए कहती हैं, "ग्लेशियर पिघल रहे हैं, साफ़ पानी ख़त्म हो रहा है, सभी तरह के प्रदूषण से मानव, पशु, जल में रहनेवाले प्राणी और वनस्पतियों की मौत हो रही है. अगर हम आज कोई ठोस क़दम नहीं उठाएंगे तो कब उठाएंगे?" इसमें अपनी बात जोड़ते हुए निमल राघवन कहते हैं, "हमें आनेवाली पीढ़ियों के लिए इस धरती को रहने लायक जगह बनाना होगा. इंसानों को इस तरह से खस्ताहाल में जीने की ज़रूरत नहीं है. प्रदूषण से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. प्लास्टिक ने सभी तरह के खाद्य पदार्थों में प्रवेश कर लिया है, जलस्तर बढ़ रहा है और लू असहनीय होती जा रही हैं."
अंत में वेदांत ने कहा, "एक मिलेनियल होने के नाते, मैं इस पीढ़ी से गुज़ारिश करता हूं कि वे पर्यावरण को हल्के में न लें. हम पर्यावरण के अनुकूल फ़ैसले ले सकते हैं और इस दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकते हैं. एक वृक्ष का रोपण करें और उसका ख़्याल रखें. फिर एक और पौधा लगाएं और इस तरह से इस कार्य को आगे बढ़ाते रहें. हमारी मदद करने से आपकी भी मदद होगी और इस तरह से दुनिया को पहले से अधिक हरा-भरा बनाया जा सकता है. चलिए हरा-भरा फ़ुटप्रिंट को हम बहुत पीछे छोड़ने प्रयास करें."
*MEGA फ़्यूचर*
जंगलों की कटाई के चलते मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन संयुक्त राष्ट्र संघ के सस्टेनिबिलिटी के लक्ष्यों में अपना योगदान देकर अपने नाम को सार्थक करने की कोशिश कर रहा है. यह फ़ाउंडेशन जलवायु परिवर्तन से संबंधित कार्यों के लिए भी प्रतिबद्ध है. फ़ाउंडेशन प्रकृति के प्रति लोगों के नज़रिए में भी बदलाव के लिए भी कटिबद्ध है. बहरहाल, संगठन का मानना है कि अन्य संगठनों की तरह ही अगर उसे भी अधिक फ़ंड हासिल हो, तो वह उल्लेखनीय बदलाव लाने में सक्षम साबित होगा. कॉर्पोरेट द्वारा मुहैया कराये जानेवाले CSR फ़ंड और दानदाताओं द्वारा दी जानेवाली राशि से इस तरह के बदलाव लाए जा सकते हैं. ऐसे में अनुषा, निमल और वेदांत इस धरती को फिर से हरा-भरा बनाने के लिए प्रयासरत हैं और फिलहाल यही इनका MEGA प्रोजेक्ट है !
एक महिला पत्रकार के कितने सामाजिक रूप है यह आज हमें इस स्पेशल रिपोर्ट के जरिए प्ता चला .
अनुषा श्रीनिवासन और उनकी तमाम टीम को उनके सारे सामाजिक योजनाओ के लिए अनगनित बधाईयां .
बाल मज़दूरी, उम्मीदों और ख़ुशियों पर बनाई गई उनकी फ़िल्म को दुनियाभर में ख़ूब वाहवाही मिली. उन्हें अपने अंदर की वीरांगना को जगाने जैसे विषय की सीरीज़ के ज़रिए युवाओं और कॉलेज स्टूडेंट्स को प्रेरित करने के लिए भी जाना जाता है. इस विषय के तहत वे बताती हैं कि कैसे हर महिला के भीतर एक योद्धा छिपी होती है, जिसे महज़ जगाने की ज़रूरत होती है. इसके ज़रिए वे महिलाओं को उनके दिलों में बसी ताक़त को बताने का प्रयास करती हैं.
*मान और सम्मान*
मेक ग्रीन अर्थ अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन को चलाने के पीछे की ताक़त अनुषा श्रीनिवासन अय्यर, निमल राघवन और वेदांत को विभिन्न मौकों पर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया है. इनमें से कुछ पुरस्कारों में लाइफ़्ज़ रियल हीरोज़ ऑफ़ इंडिया 2019, द इकोनॉमिक्स टाइम्स आइकन अवॉर्ड फॉर स्ट्रैटिजिक ब्रांडमेकर ऐंड सोशल आंत्रप्योनोरशिप, द ET राइज़िंग इंडियन ऑफ़ द इकोनॉमिक्स टाइम्स अवॉर्ड, नैशनल एक्सेलेंस अवॉर्ड, इंस्पायर अवॉर्ड, दादासाहेब फ़ाल्के फ़िल्म फ़ाउंडेशन अवॉर्ड, मैं हूं बेटी अवॉर्ड, समाज रत्न अवॉर्ड, आइकॉनिक अचीवर्स अवॉर्ड, परफ़ेक्ट अचीवर्स अवॉर्ड, कार्मिक अवॉर्ड्, नैशनल सम्मिट ऑफ़ होलिस्टिक साइंसेस में इगैलिटेरियन अर्थ वॉरिअर अवॉर्ड और सामाजिक कार्यों के लिए MAEER द्वारा स्थापित MIT पुणे की ओर से अवॉर्ड मिल चुके हैं. इनके अलावा श्री समर्थ स्वामी अन्नाक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से द नैशनल वेलनेस अवॉर्ड भी मिला था. इसके अतिरिक्त बाल मजदूरी व मानवता पर बनाई गई फ़िल्म 'द वर्ल्ड इन माई ड्रीम्स' को 68 ग्लोबल अवॉर्ड्स मिल चुके हैं और दुनियाभर में इस फ़िल्म की 120 स्क्रीनिंग्स हो चुकीं हैं. फ़िल्म को दुनियाभर में ख़ूब सराहा गया.
*बदलाव का बनें सबब*
मेक द अर्थ ग्रीन (MEGA) फ़ाउंडेशन का मानना है कि हमें ख़ुद एक मिसाल के तौर पर पेश आना चाहिए ताक़ि अन्य लोग जो बदलाव लाने में यकीन रखते हैं, हमसे जुड़ें. फ़ाउंडेशन का मानना है कि ख़ुद बदलाव का सबब बनने के बाद वे लोगों को इस बात से अवगत करा सकते हैं कि किस तरह के लोग इस धरती की परवाह करते हैं... हम सबके साझा प्रयासों से ही यह संभव है! परस्पर संवाद से जुड़े दुनियाभर के अपने अभियानों, जागरुकता कार्यक्रमों और प्रभावी ढंग से वृक्षारोपण अभियानों के माध्यम से फ़ाउंडेशन पर्यावरण को बचाकर ख़ुद को बचाने के प्रयत्नों में लगा हुआ है. इसी के तहत हमने पूरे महाराष्ट्र में पांच लाख पेड़ लगाने की शुरुआत कर दी है. सूख चुके कुंओं को रेनवॉटर हार्वेस्टिंग में तब्दील करने और भूजल के स्तर को बढ़ाने की कोशिशें भी जारी हैं.
*MEGA राय*
अनुषा श्रीनिवासन अय्यर सवाल उठाते हुए कहती हैं, "ग्लेशियर पिघल रहे हैं, साफ़ पानी ख़त्म हो रहा है, सभी तरह के प्रदूषण से मानव, पशु, जल में रहनेवाले प्राणी और वनस्पतियों की मौत हो रही है. अगर हम आज कोई ठोस क़दम नहीं उठाएंगे तो कब उठाएंगे ?" इसमें अपनी बात जोड़ते हुए निमल राघवन कहते हैं, "हमें आनेवाली पीढ़ियों के लिए इस धरती को रहने लायक जगह बनाना होगा. इंसानों को इस तरह से खस्ताहाल में जीने की ज़रूरत नहीं है. प्रदूषण से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. प्लास्टिक ने सभी तरह के खाद्य पदार्थों में प्रवेश कर लिया है, जलस्तर बढ़ रहा है और लू असहनीय होती जा रही हैं."
अंत में वेदांत ने कहा, "एक मिलेनियल होने के नाते, मैं इस पीढ़ी से गुज़ारिश करता हूं कि वे पर्यावरण को हल्के में न लें. हम पर्यावरण के अनुकूल फ़ैसले ले सकते हैं और इस दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकते हैं. एक वृक्ष का रोपण करें और उसका ख़्याल रखें. फिर एक और पौधा लगाएं और इस तरह से इस कार्य को आगे बढ़ाते रहें. हमारी मदद करने से आपकी भी मदद होगी और इस तरह से दुनिया को पहले से अधिक हरा-भरा बनाया जा सकता है. चलिए हरा-भरा फ़ुटप्रिंट को हम बहुत पीछे छोड़ने प्रयास करें."
*MEGA फ़्यूचर*
जंगलों की कटाई के चलते मेक अर्थ ग्रीन अगेन (MEGA) फ़ाउंडेशन संयुक्त राष्ट्र संघ के सस्टेनिबिलिटी के लक्ष्यों में अपना योगदान देकर अपने नाम को सार्थक करने की कोशिश कर रहा है. यह फ़ाउंडेशन जलवायु परिवर्तन से संबंधित कार्यों के लिए भी प्रतिबद्ध है. फ़ाउंडेशन प्रकृति के प्रति लोगों के नज़रिए में भी बदलाव के लिए भी कटिबद्ध है. बहरहाल, संगठन का मानना है कि अन्य संगठनों की तरह ही अगर उसे भी अधिक फ़ंड हासिल हो, तो वह उल्लेखनीय बदलाव लाने में सक्षम साबित होगा. कॉर्पोरेट द्वारा मुहैया कराये जानेवाले CSR फ़ंड और दानदाताओं द्वारा दी जानेवाली राशि से इस तरह के बदलाव लाए जा सकते हैं. ऐसे में अनुषा, निमल और वेदांत इस धरती को फिर से हरा-भरा बनाने के लिए प्रयासरत हैं और फिलहाल यही इनका MEGA प्रोजेक्ट है !
एक महिला पत्रकार के कितने सामाजिक रूप है यह आज हमें इस स्पेशल रिपोर्ट के जरिए प्ता चला .
अनुषा श्रीनिवासन और उनकी तमाम टीम को उनके सारे सामाजिक योजनाओ के लिए अनगनित बधाईयां .