भ्रष्टाचार एवम् यौन शौषण के आरोपी को सौंप दी राजस्व के खजाने की चाबी ।

 


मुकेश शर्मा(स्थानीय संपादक)
*लंबे समय तक विवादों में रहे आईएएस जीबी पाटिल, महिला प्रेमी होने के भी आरोप ?*
 ग्वालियर - यौन संबंधों के मामलों में सुर्खियां बटोरने वाले आईएएस ज्ञानेश्वर पाटिल को मध्यप्रदेश शासन ने अन्य भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों के साथ पाटिल पर भी मेहरबानी करते हुए राजस्व विभाग के सिंघासन पर आसीन कर ग्वालियर और भोपाल की गद्दी पर आसीन कर दिया है । गंभीर मामलों में आरोपी रहे आईएएस अफसर जीबी पाटिल यहां भी अपनी कारगुज़ारियों को लेकर सुर्खियों में आने लगे हैं । 
 बैतूल कलेक्टर रहते हुए ज्ञानेश्वर बी पाटिल ने यूपी के एक रेत ठेकेदार पर खनिज विभाग द्वारा ठोका गया 50 लाख रुपए का जुर्माना इस तर्क के साथ माफ कर दिया कि ठेकेदार यूपी का है, उसे मप्र के नियमों की जानकारी नहीं है।  इस मामले में खनिज विभाग ने पड़ताल शुरू की विभाग ने बैतूल से रेत भंडारण के इस मामले का रिकार्ड मंगाया 
 जिससे कार्रवाई की जा सके। अवैध रेत भंडारण के इस मामले में खनिज विभाग की ओर से ठेकेदार पर 50 लाख का जुर्माना लगाया गया था। यह मामला जब कलेक्टर कोर्ट में पहुंचा तो वहां जो हुआ वह आश्चर्यजनक था। कोर्ट में ठेकेदार की ओर से कहा गया कि वह उत्तरप्रदेश का रहने वाला है। इसलिए उसे मप्र के भंडारण नियम की जानकारी नहीं है। इसे स्वीकारते हुए तत्कालीन कलेक्टर ज्ञानेश्वर पाटिल ने बगैर अनुमति के भंडारण न करने की चेतावनी देते हुए उसे बरी कर दिया । दर्जनों आरोप लगने के बाद भी भ्रष्टाचार के आरोपियों पर शासन की मेहरबानी शासन के मुखिया और विभागीय मंत्रियों पर प्रश्न चिन्ह लगती है ? एम के अग्रवाल, जी बी पाटिल, अरविंद सेंगर, प्रदीप नीखरा, अरस्तू प्रभाकर, संजय दलेला, अभिषेक गुप्ता, आर के सिंह, कालीचरण शर्मा (67+मोती महल राजस्व में)  जैसे दर्जनों अफसर हैं जो गंभीर मामलों में आरोपी रहे हैं या आरोप सिद्ध हो चुके हैं वाबजूद इसके इनको पदोन्नत कर शीर्ष पदों पर विराजमान करना शासन की क्या मजबूरी है ❓इससे एक बात तो तय है दबाव में या प्रभाव में मध्यप्रदेश की सरकार को कांग्रेस का लेवल लगाकर भाजपा के कारिंदे ही चला रहे हैं । ये बात सत्ताधारी पार्टी के नेता भाली भांति समझ सकते हैं क्यों कि भ्रष्ट अफसरों को हटाने वाला 20 साल की नौकरी या 50 साल की उम्र वाले आदेश कितने अफसरों पर अमल हुए❓ बाकी जनता समझदार है।
 *कलेक्टर मुझे रात को फोन करते हैं'* 
 _*महिला अधिकारी ने तत्कालीन आयुक्त ए के शिवहरे को लिखा था पत्र, की थी संरक्षण की मांग ।*_ 
 श्योपुर कलेक्टर रहते हुए ज्ञानेश्वर पाटील पर फरवरी 2012 में एक महिला अधिकारी ने तंग करने का आरोप लगाया था । इससे पहले पाटील समलैंगिकता का आरोप भी झेल चुके हैं।
''कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी पाटील रात दस बजे के बाद मुझे बार-बार फोन करते हैं। जब मैंने रात में उनका फोन रिसीव करना बंद कर दिया तो वे मुझसे नाराज हो गए। इसलिए मुझे बार-बार कारण बताओ नोटिस और वेतन रोकने की कार्रवाई कर प्रताड़ित कर रहे हैं। कलेक्टर की मंशा मेरे प्रति ठीक नहीं है।'' महिला एवं बाल विकास अधिकारी (डीपीओ) महिला अधिकारी ने पत्र के माध्यम से मुख्य सचिव अवनि वैश्य एवम् चम्बल आयुक्त अशोक शिवहरे समेत कई अन्य आला अधिकारियों से अपनी पीड़ा कुछ इसी तरह बयां की थी। श्रीमती राय ने पत्र में मुख्य सचिव से संरक्षण की मांग भी की थी । ये खबर बड़े समाचार पत्रों की सुर्खियां रही थी ।
महिला अधिकारी ने पत्र में लिखा था कि कलेक्टर पाटील  देर रात फोन करते थे। पहले मैं यह सोचकर फोन रिसीव कर लेती थी कि कोई विभागीय काम होगा, लेकिन उनके पास फोन की कोई वजह नहीं होती थी। इसके बाद मैंने उनका फोन रिसीव करना बंद कर दिया। जिससे श्री पाटिल नाराज हो गए।इसी बीच श्योपुर ग्रामीण में पदस्थ परियोजना अधिकारी प्रेरणा मर्सकोले की लापरवाही के कारण पोषण आहर के 159 बैग एक्सपायर हो गए। सुश्री मर्सकोले के खिलाफ मैंने कार्रवाई प्रस्तावित कर दी, लेकिन कलेक्टर ने विभागीय समीक्षा बैठक में न केवल सुश्री मर्सकोले की सार्वजनिक तौर पर काम की तारीफ कर दी, बल्कि मुझ पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगा दिया।


 *जिला मुख्यालय छोड़ने की नहीं देते अनुमति:*
 महिला अधिकारी ने लिखा था कि मेरा परिवार और दोनों बच्चे ग्वालियर में रहते हैं। इसलिए मैं अवकाश के दिनों में जिला मुख्यालय छोड़ने की अनुमति मांगती हूं, लेकिन कलेक्टर आवेदन स्वीकृत नहीं करते। आवेदन का जवाब नहीं मिलने पर जब मैं मुख्यालय छोड़ देती हूं तो वे मुझे कारण बताओ नोटिस और वेतन रोकने की कार्रवाई करते हैं। 


 *नियम विरुद्ध काम के लिए बनाते हैं दबाव:*
 महिला अधिकारी के पत्र के अनुसार श्री पाटील उन पर नियम विरुद्ध काम करने के लिए भी दबाव बना रहे थे । अटल बाल मिशन के तहत प्राप्त 2.50 लाख की राशि सरपंचों के खाते में जबरदस्ती जमा कराई गई । इस राशि का सरपंचों से कोई लेना-देना ही नहीं था । इसी प्रकार श्री पाटील ने एनआरसी में कुपोषित बच्चों को भर्ती नहीं कराने वाले पालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए ।
 *इन मामलों में रहे हैं विवादित* 
भोपाल में एक सम​लेंगिक यौन संबंध के मामले में सुर्खियों में आए। 
श्योपुर कलेक्टर पदस्थापना के समय एक महिला कर्मचारी ने यौन प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। सीएम ने इस मामले में उन्हे सस्पेंड कर दिया है। 
श्योपुर में एक पर्चा बांटा गया था जिसमें कई महिलाओं से यौन संबंध का विवरण दिया गया था।