बलात्कार मामले में चुनाभट्टी पुलिस की “बी-सम्मरी रिपोर्ट” पर एडवोकेट नितीन सातपुते ने जमकर  किया विरोध

रिपोर्ट : के .रवि ( दादा ) ,


ज्ञात हो के हमारे देश में काले कोट पहने करोड़ो वकील हमे अदालतों के सामने ग्राहक  को पाने  के लिए खड़े नजर आते है . पर इन करोड़ो वकीलों ने से कितने ऐसे वकील महोदयजी है जो मजलूमों , बेगुनाहों , मजबूरो के लिए लड़ते हैै , उन्हें न्याय दिलाते हैै . शायद ही उंगलियों पर   गिनती के ही होंगे .पर जंहा बुरे  लोग  कुदरत ने इस दुनिया में भेजे है , वैसे ही  कुछ अच्छे लोग भी कुदरत ने भेजे है जिनमें मुंबई से एक नाम है अधिवक्ता ....... नितिन सातपुते का . हमें नितिन सातपुते अक्सर मजलूमों के पक्ष में अदालत में खड़े नजर आते है .ठीक वैसे ही 
पिछले साल के जुलाई माह में औरंगाबाद से मुंबई के चेंबूर मे आई हुई एक युवती पर उसीके चार दोस्तो ने सामूहिक बलात्कार किया था बाद मे युवती को औरंगाबाद मे भर्ती करवाया गया, जिसके बाद पीड़ित युवती की दर्दनाक मौत हो गई थी ! यह मामला नितिन सातपुते जी ने अपने हाथ में ले लिया .


घटनाए वारदात के मुताबिक, मामला मुंबई के चुनाभट्टी पुलिस  स्टेशन में दर्ज हुआ था, पर पुलिस द्वारा इस मामले को गंभीरता से नही लेने को लेकर, एडवोकेट नितीन सातपुते ने पुलिस पर निष्क्रियता के गंभीर आरोप लगाये थे, साथ ही पुलिस इन्स्पेक्टर दीपक सुर्वे पर निष्क्रियता और पीडित परिवार को प्रताड़ीत करने के आरोप लगाते हुए एक मामला दर्ज किया था !


मामले की सुनवाई के दौरान 2 मार्च को विशेष अदालत के, न्यायालय क्रमांक 34 में पुलिस ने न्यायाधीश के सामने केस से जुड़े, “बी-सम्मरी” फाईल किया है! जिसको पढ़ने के बाद नितीन सातपुते ने आपत्ति जताई है !


जानकारी के मुताबिक, मामले की जांच क्राईम ब्रांच ने की थी, चुनाभट्टी पुलिस द्वारा “बी-सम्मरी रिपोर्ट” दाखिल करने के बाद पुलिस और जांच पर सवाल करते हुए एडवोकेट नितीन सातपुते ने बताया कि रिपोर्ट में चश्मदीद गवाह गायब कैसे हो गये? पिड़ीता के साथ सामूहिक दुष्कर्म और बाद में उसकी मौत के बाद भी प्रशासन अपराधियों को बचाने के लिए उल्टे सिधे काम कैसे कर सकते हैं? आप को बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को रखी गई है !