रिपोर्ट : के .रवि ( दादा ) ,,
वो कहते है ना जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो . अगर ईश्वर आपके साथ हो तो आपकी जीत होकर रहेगी. आपका पराजय जीत मेे तब्दील होने में देर नहीं लगती .जी हां ऐसे ही कुछ हुआ मुंबई के एक नामी पुलिस अफसर के साथ . दरसल मुंबई 26 / 11 के अपराधी को जिंदा पकड़ने वाले उन दिनों में डी बी मार्ग पुलिस थाने में कार्यरत पुलिस अफसर संजय गोविलकर को तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने दाऊद इब्राहिम के एक साथी को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डेपर हिरासत में लेकर छोड़ देने के जुर्म में निलंबित किया था .वह अभियुक्त उन दिनों दुबई से मुंबई हवाई अड्डेपर आया था . इसकी जांच मुंबई अपराध दल के मुखिया श्री . संतोष रस्तोगी जी और संयुक्त पुलिस आयुक्त श्री . राजवर्धन सिन्हा विभागीय जांच शुरू की .तब तक अपने आप को सच्चा साबित करने के लिए संजय गोविलकर ने मुंबई उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी . ज्ञात हो के जब अजमल कसाब ने गोलीबारी की थी तब उसमें तुकाराम ओंबले नामक पुलिस कर्मी शहीद हुए थे .उन दिनों आतंकियों की एक गोली संजय गोविलकर जी के कमर को छूकर निकल गई थी .पर फिर भी सभी मौजूद पुलिस कर्मियों ने अजमल कसाब को स्कोडा कार से नीचे उतारने में सफलता हासिल की , तब शायद बाकी पुलिस कर्मी अजमल कसाब को गोलियों से भून ही देते पर वहां संजय गोवीलकर जी ने मोर्चा संभलकर , बहुत ही संजीदी से काम लेते हुए सभी को समझाया के इसे गोलियों से मत भूनो , यह हमें जिंदा ही चहिए . जिससे हमें कुछ सबूत मिल सकते हैं . इस बात की पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश मारिया जी ने भी हाल ही मेे अपनी किताब लेट मी से इट
नाऊ में कबूल किया है . इन सबका यह फल निकला के जिस पूर्व पुलिस आयुक्त ने संजय गोविलकर जी को निलंबन की सजा दी थी उन्हें तो संतोष रस्तोगी और राजवर्धन सिन्हा साहब की जांच ने निर्दोष साबित किया ही .पर अब 25 फरवरी 2020 को अवकाश प्राप्त होने वाले इस होनहार , अच्छे पुलिस ऑफिसरअच्छे पुलिस ऑफिसर का निलंबन वापस लेकर सरकार के आदेश के बाद उन्हें एसीपी भी बनाया गया . हमें एक बात पर गौर करना होगा के जब से महाराष्ट्र राज्य को अनिल देशमुख जैसे गृहमंत्री प्राप्त हुए हैं ,तब से राज्य में कुछ अच्छी खुशनुमा बाते सुनने को मिल रही है . पर दुसरी और सरकार को यह भी ध्यान देना होगा के लोग जितने अच्छे उतने बुरे भी हैै .जब किसीको बिना सबूत के हिरासत मेे लिया जाता , या बीना सबूत के समाज में कोई किसे बदनाम करता हैै तो तब तक उस इंसान की जिंदगी भर की इज्जत दांव पर लग जाती है .वह इंसान तो बद और बदनाम तो हो ही ज्यादा है पर उसका असर उसके परिवार एवम् समाज पर भी होता हैं .तो ऐसे में सरकार को खास कर पुलिस विभाग के लोगो को गंभीरता से सोचना चाहिए .बिना कुछ किए बरबाद हुए हजारों लोग शहर मेे ढूंढने से हजारों मेे मिलेंगे . वैसे संजय का मतलब ही जय हैै .
उसी तर्ज पर संजय गोविलकर को न्याय को भी कुदरत ने न्याय दिलाया ही . इन्हिके साथ साथ और 14 पुलिस अफसरों की बढ़ोत्तरी सरकार ने कर दी हैं .
लेकिन इन 14 प्रमोशन में एक मृत पुलिस हेड कॉन्स्टेबल अरुण जाधव का भी नाम सामने आने से। पुलिस विभाग में नाराजगी भी हैै . जब किसीकी तरक्की होती है तो कुछ लोग खुश होते है तो कुछ दुःखी भी होते हैं .यह कुदरत का नियम ही हैै .