के .रवि ( दादा ) ,
दुनिया में आज भी कई ऐसे लोग है जो विपरीत हालात में टूटकर बिखर जाते है .पर इनमें से जो नहीं टूटते वे जिंदगी का रिकॉर्ड तोड देते है. वैसे बढ़े बुज़ुर्ग कहते है के 16 वा साल खास करके धोखे का ही रहता है .इस उम्र में कुछ लोग बुरे रास्ते पर चलने लगते है तो कुछ लोग इतिहास बनाते हैं .आज के युवाओं में से ज्यादातर युवा हमें झुटे प्यार , गलत संगत और गलत आदतों में शामिल होते भी नजर आते हैं .पर पुना के यूनिक एकेडमी की 16 साल की विद्यार्थी कुमारी तनिष्का प्रताप पाटिल को किसी फालतू प्यार वार के चक्कर से सिर्फ मेडल हासिल करने की फिराक में रही .और अमीर खान की दंगल फिल्म की युवा लड़कियों की तरह कुस्ती की दुनिया में नाम रोशन कर जिस तरह वह आगे बढ़कर मेडल तक पहुंचती है
ठीक उसी तरह पुणा की इस तनिष्का पाटिल ने कुस्ती में मेडल हासिल किया . महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पूर्व राजा शाहू महाराज जी ने पहले कुस्ती के खेल को राजआश्रय दिया .उसी कारण आज यह कबड्डी का ओलिंपिक मशहूर है .यदि कोई भी खेल होता है तो उसमें संघर्ष होता है हैं .पर तनिष्का यह सब आसानी से फतेह के लेती हैं .उनके पिता प्रताप पाटिल की अक्सर साये की
तरह उनके साथ रहते हैं . उन्हिकी नेम नामी के कारण मुंबई के यशवंतराव चव्हाण सेंटर में एनसिपी नेता शरद पवार जी और सांसद सुप्रिया सुले जी से हुई . शरद पवार साहेब ने तनिष्का पाटिल जी की वाहवाही के उन्हें शाबासकी देकर तनिष्का का जोश बढ़ाया .तब प्रताप पाटिल जी का सीना भी अभिमान से चौड़ा हुआ . मसलन राजनीति के कुस्तीगिर ने मैट पर के कुस्तिगीर का सत्कार किया . जिसका एक ही उद्देश्य था के सम्मान कर जवाबदारी का अहसास करवा देना . वैसे अमीर खान की दंगल फिल्म में एक डायलॉग है
मेडल लड़का लावे या लड़की गोल्ड तो गोल्ड ही होता है .ठीक उसी तरह पर तनिष्का पाटिल की मेहनत भी एक दिन जरूर फल देंगी .