समय रहते ही सचेत हो गई होती पुलिस तो ना बिगड़ता अमन चैन।

 


जाफराबाद दंगा: दिल्ली पुलिस की नाकामी से गई हवलदार की जान, हुई हिंसा और आगजनी।


*अजय सोलंकी, पूर्वी दिल्ली।*


•दिल्ली पुलिस के खुफिया तंत्र की नाकामी बनी हिंसा आगजनी की वजह।


•समय रहते ही सचेत हो गई होती पुलिस तो ना बिगड़ता अमन चैन।


•रविवार को हुई हिंसा के दौरान रची गई थी सोमवार की साजिश।


दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में दंगा भड़काने का मौका भीड़ ने दिया था। लापरवाह जिला पुलिस और दिल्ली पुलिस का खुफिया तंत्र रविवार पूरी रात सोता रहा। जबकि षड्यंत्रकारी भीड़ ने सुनियोजित तरीके से सोमवार को दिल्ली पुलिस के हवलदार रतन लाल को मार डाला। कई वाहन फूंक डाले। जिले में अफरा-तफरी और भगदड़ मचा डाली।


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सोमवार को उत्तर पूर्वी जिले के दयालपुर, मौजपुर, करावल नगर, गोकुलपुरी, भजनपुरा, कर्दमपुरी, चांद बाग में हिंसा अचानक नहीं भड़की। इस हिंसा को उकसाने का और इस कदर भयानक रूप में लाने देने के लिए सीधे-सीधे तौर पर उत्तरी जिला पुलिस ही जिम्मेदार है। साथ ही जिम्मेदारी है दिल्ली पुलिस की उस खुफिया शाखा की (स्पेशल ब्रांच) की, जिसके पास इलाके के हर घर की कुंडली मौजूद होती है।


स्पेशल ब्रांच का काम और जिम्मेदारी है कि वो संवेदनशील इलाकों के हालात पर नजर रखे। जहां-जहां जिन इलाकों में हालात बिगड़ने वाले हों, वहां-वहां की खुफिया सूचना पूर्व में ही इकट्टठी करके जिला पुलिस एवं दिल्ली पुलिस मुख्यालय को मुहैया कराना।