गोलु मंसूरी सिराली : प्रकृति द्वारा निर्मित शिवलिंग जहाँ कंकर-कंकर में शंकर है यहाँ मनोकामना होती है पूर्ण


सतपुड़ा की तलहटी में बसे ग्राम गोमगॉव एवं मोरतलाई के मध्य घोंघई नदी के दक्षिण तट पर प्रकृति द्वारा निर्मित सिद्धजलाधारी महादेव शिवलिंग प्राचीनकाल से स्थापित है । मान्यता है कि क्षेत्रवासियों को पानी की आवश्यकता पड़ने पर जलाधारी महादेव का जलाभिषेक करने पर भगवान भोलेनाथ बारिश कर अपने भक्तों को संतुष्ट करते है । इस स्थान के समीप बहने वाली घोंघई नदी में शिवलिंग के आकार के पत्थर भी मिलते है । घोघई नदी गर्मी में पूरी तरह से सूख जाती है लेकिन जलाधारी महादेव का चमत्कार कहे या आशीर्वाद मंदिर के पास बारह महीने नदी में पानी बहता रहता है । इसलिए ग्रामीणों द्वारा इस स्थान को जलाधारी महादेव नाम दिया । ग्रामीण मनोहर चौबे, योगेंद्र तिवारी ने बताया कि बुजुर्गों द्वारा हमें बताया गया कि यह स्थान लगभग 100 वर्षों पूर्व गॉव के पण्डित कुंजीलाल शर्मा को दिखाई दिया गया था । पण्डित शर्मा प्रतिदिन नित्यकर्म एवं स्नान के लिए घोंघई नदी के तट पर जाते थे एक दिन उन्हे चट्टान पर प्रकृति द्वारा निर्मित शिवलिग दिखाई दिया तब से इस स्थान पर पूजा अर्चना का दौर आजतक जारी है । बाबा नरहरीनाथ महाराज को इस स्थान के बारे में जानकारी मिली तो उन्होने यहाँ यज्ञ का आयोजन कर मंदिर निर्माण करा दिया । साथ ही ग्रामीण रामकिशन चौरसिया द्वारा मंदिर निर्माण एवं धार्मिक आयोजन हेतू 50 डिसमील जमीन दान दी । बाबा नरहरीदास महाराज के सानिध्य में ग्रामीणों द्वारा लगातार 10 वर्षों से श्रावण माह में पैदल कावड़ यात्रा कर नेमावर से नर्मदा जल लाकर पहले सोमवार को जलाधारी महादेव का जलाभिषेक कर भण्डारा आयोजित कर प्रसादी वितरण किया जाता है ।


शिवरात्रि पर अभिषेक एवं कबड्डी प्रतियोगिता : ग्रामीणों ने बताया कि शिवरात्रि पर्व पर भगवान सिद्धजलाधारी महादेव का जलाभिषेक किया जाऐगा । क्षेत्र के दर्जनों गॉवों के भक्त जलाधारी महादेव पर जल चढ़ाने पहुँचेंगे । साथ ही प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी महादेव क्लब के तत्वाधान में विशाल कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जा रहा है ।