दिल्ली में एक बार फिर मानवता इस तरह शर्मशार होने से बच जाती..

 


*काश कि दंगाई इनसे सीख लेकर इनके संदेश को समझ पाते कि इंसानियत सभी धर्म से ऊपर है.*


 


पिछले कुछ दिनों तक जहां देश की राजधानी दिल्ली अमानवीय सांप्रदायिक दंगे में सुलगती रही
*वहीं दोनों समुदाय के लोगों ने एक बार फिर भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति को सही साबित करते हुए सांप्रदायिकता की संकीर्ण हिंसक मानसिकता से बाहर निकल कर मानवता के उच्च आदर्शों की बेहतरीन मिसाल पेश की।* 


एक तरफ हर ओर खौफ का मंजर था और लोग एक दूसरे का जान लेने को आमादा थे, 


*दूसरी ओर कई मोहल्लों और दंगाग्रस्त इलाकों में दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे की ढाल बन कर सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के लिए जान की बाजी लगा कर एक दूसरे की रक्षा कर रहे थे*


*काश कि दंगाई भी इनसे सीख लेकर इनके संदेश को समझ पाते कि इंसानियत सभी धर्म से ऊपर है* 


*तो दिल्ली में एक बार फिर मानवता इस तरह शर्मशार होने से बच जाती।*


इतिहास उन किरदारों को कभी नहीं भूलेगी जो खूनी मंजर से बाहर निकल कर भरोसे की नई इमारत तैयार कर रहे थे 


*और इंसानियत की रक्षा के लिए उन्मादी भीड़ से मुकाबला कर रहे थे। हम इन चंद लोगों से बड़ी सीख लेने की जरूरत है।*