मुरैना. राजनीतिक खींचतान के चलते प्रभारी मंत्री ने देवरी गो शाला की समिति को भंग करा दिया। लेकिन उसके बाद गायों की देखरेख किसी ने नहीं की इसके चलते सैंकड़ों गो वंश काल के गाल में समा गया। इस मामले का ख्ुालासा पत्रिका ने किया। जिस पर अफ सरों ने कार्रवाई करने गो वंश को बचाने की जगह वहां पर प्रवेश पर ही रोक लगाने का कदम उठा दिया है।
अब अगर किसी को दान देना हो या वहां के हालात जानने हों तो प्रवेश के लिए पहले निगमायुक्त से मिलने का समय लेना होगा। फिर वहां मिलने के बाद ही अनुमति लेनी होगी। बहरहाल अंचल कि दूसरी गो शालाओं में इस प्रकार के प्रतिबंध नहीं लगे हैं। ग्वालियर में तो 9 हजार गायों को नगर निगम संभाल रहा हैं। वहां पर कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं हैं। लेकिन मुरैना नगर निगम ने अपनी कमियों को छुपाने के लिए यह रास्ता निकाल लिया है। जिसने प्रदेश सरकार के गो रक्षा के वादे पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
पत्रिका में पिछले दिनों गोशाला में ठंड से गायों की बड़ी संख्या में हुई मौत की खबर प्रकाशित की थी और इस मामले को प्रभारी मंत्री के संज्ञान में डाला गया था। उसके बाद प्रभारी मंत्री ने आयुक्त व स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को खिंचाई की थी। इसके बाद निगम को वहां सुधार करना था, वह तो नहीं किया गया बल्कि खींजकर गोशाला में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया।
ये हालात हैं गोशाला में
ठेकेदार का प्रोपर भुगतान नहीं होने पर भूसा की किल्लत है। वहीं गायों को सूखा भूसा खिलाया जा रहा है। भूसा को पानी से भिंगोकर उसमें आटा मिलाया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। गायों के लिए ठंड से बचाव के लिए पर्याप्त प्रबंध नहीं किए गए इसलिए इस बार ठंड में बड़ी संख्या में गोवंश की मौत हुई है। नए फरमान से दान व सहयोग गोशाला को मिलता रहा है, वह भी प्रभावित हो सकता है।
गोशाला में आम जनमानस के प्रवेश पर रोक आयुक्त ने लगायी है। उनके कहने पर ही मैंने गोशाला के गेट पर पत्र चस्पा किया है।
ललित शर्मा,नोडल अधिकारी गोशाला
गोशाला में प्रवेश इसलिए प्रतिबंधित किया है कि कोई अंदर घुसकर गोवंश को कुछ उल्टा सीधा खिला सकता है। इसलिए अब रजिस्टर मेंटेन किया जाएगा, कोई अंदर जाएगा जिससे पता चल सके कि गोशाला मेें किसका आना जाना हुआ।
अमरसत्य गुप्ता, आयुक्त नगर निगम मुरैना