सिपहसलारों के इशारे पर कुलपति!
ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और शिक्षा के गिरते स्तर को लेकर की गई तमाम शिकायतें रद्दी की टोकरी की शोभा बन कर रह गई है। फिर चाहे मल्टीआर्ट, अ जा-ज जा छात्रवृति का मामला हो या फिर परिक्षा परिणाम बनाने वाली कंपनी पर मेहरबानी अथवा जेम्स के माध्यम से खरीदी का मामला, हर मामले को सुनियोजित तरीके से दबाने का खेल खेला जा रहा है।
गौरतलब है कि इस तरह की शिकायतों को लेकर सेंकड़ों बार यूनिवर्सिटी में धरना प्रदर्शन और उच्चस्तरीय शिकायतें की गई मगर नतीजा सिफर रहा है। अभी हाल ही में एक शिकायत की जांच करने आई टीम को इतने गोपनीय तरीके से रखा गया कि शिकायतकर्ता या खबरी वहां तक पहुंच ही न पाएं।
विश्वविद्यालय सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार कुलपति प्रो संगीता शुक्ला को यूनिवर्सिटी की चिंता से कहीं ज्यादा अपने दूसरे कार्यकाल को निर्विवाद पूरा करना है, या यों भी कह सकते हैं कि श्रीमती शुक्ला तो महज एक चेहरा हैं निर्णय तो उनके खास सिपहसलारों के चलते हैं जो अपनी पहुंच आईपीएस अधिकारियों तक रखते हैं । शायद यही वजह है कि यूनिवर्सिटी या कुलपति के खिलाफ की जाने वाली हर शिकायत या तो रद्दी की टोकरी में दफन हो जाती है या फिर उच्च स्तर पर सांठगांठ कर दवा दिया जाता है।
( जारी - परत दर परत)
जीवाजी यूनिवर्सिटी - अपनी ढपली अपना राग बच्चों का जीवन बर्वाद