मुनाफाखोरी के चलते हर रोज बढ़ते जा रहे हैं प्याज के दाम


*अबकी बार प्याज 100 के पार* 


मंहगाई की मार 


- मुनाफाखोरी के चलते हर रोज बढ़ते जा रहे हैं प्याज के दा 


- सरकारी सिस्टम फेल होने से नहीं आ रहा है कोई दबाव काम* 
ग्वालियर/ विजय पाण्डेय 
प्याज के दाम सातवें आसमान पर हैं। अफसर हैरान हैं और लोग परेशान हैं। आम आदमी को सस्ती प्याज की दरकार है। लेकिन मंहगाई की ऐसी मार है, कि प्याज अबकी बार 100 के पार है। बावजूद इसके सरकार दाम कम करने में लाचार है। क्योंकि सरकार और सरकारी सिस्टम बेकार है और मुनाफाखोरों की बहार है।
प्याज छह साल बाद एक बार फिर अपनी रंगत में है। इस बार तो प्याज के दाम नित नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। अभी प्याज 100 के पार हो चुकी है। समय रहते सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए तो यह 125 से 150 के दाम को भी पार कर सकती है। क्योंकि प्याज की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकरी अफसरों के पास कोई ठोस रणनीति नहीं है। वे सिर्फ हवा-हवाई और दिखावटी कार्यवाही में लगे हुए हैं। न ही उन्होंने कहीं छापामार कार्रवाई कर स्टॉक की जा रही प्याज का पता लगाया है और न ही रियायती कीमत पर प्याज आम आदमी को उपलब्ध हो सके इसके लिए कोई कदम उठाया है। जबकि प्याज कारोबारी लगातार बढ़ते दामों के दौर में चांदी काट रहे हैं। 


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 *एक नजर में प्याज के दाम* 
प्याज ----थोक---खेरीज 
छोटी प्याज 30-40 60-70
बड़ी प्याज    50-60 70-90
सुपर प्याज    80-90 100-120
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नोटः प्याज के भाव प्रति किलो के हिसाब से हैं। मंडी कारोबारियों के मुताबिक हैं। 


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 *नहीं लगे रियायती काउंटर* 
अफसरों ने कुछ दिन पहले दावा किया था कि शहर के विभिन्न स्थानों पर 4 काउंटर लगाकर लोगों को रियायती दर पर प्याज मुहैया कराई जाएगी। लेकिन अफसरों का दावा झूठा साबित हुआ। आसमान छू रही कीमतों से लोगों को तो राहत नहीं मिल सकी लेकिन मुनाफाखोरों की जरूर चांदी कट रही है। 


 --- *अफसरों को नहीं दिलचस्पी* 
शहर में सस्ती प्याज की बिक्री को लेकर अफसरों की कोई दिलचस्पी नहीं है। विभागीय अफसर सिर्फ प्याज कारोबारियों के यहां पहुंचकर उनके दस्तावेजों के जांचने-परखने में लगे हुए हैं। लेकिन काउंटर लगाकर प्याज की बिक्री कराने का उनका कोई मन नहीं है। यही वजह है कि लोगों को 100 रुपए किलो प्याज खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 


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 *चोर-लुटेरों की पहली पसंद बनी प्याज* 
प्याज की बढ़ती कीमतों से अब चोरों की भी चांदी कट रही है। सोना-चांदी और रुपया नहीं अब प्याज चोर-लुटेरों की पहली पसंद बन गई है। इस बात का खुलासा उस वक्त हुआ जब शिवपुरी के बदमाश 20 लाख रुपए की प्याज चोरी के आरोप में गिरफ्तार हुए। पुलिस ने उनके पास से प्याज की 434 बोरी बरामद की। इसके अलावा इन दिनों सब्जी मंडियों से भी प्याज की बोरी चोरी होने की घटनाएं सामने आ रहीं हैं। बदमाश महाराष्ट्र के नासिक से आने वाली प्याज के ट्रकों को ही गायब कर रहे हैं।
 
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क्या कहते हैं कारोबारी* 
 
*-- आवक कम, मांग ज्यादा* 
मंडी में 500 से 1000 क्विंटल प्याज रोज आती थी। अब आवक कम और मांग ज्यादा हो रही है। प्याज भी मंहगी आ रही है, इसके चलते हमें भी मंहगी बेचनी पड़ रही है। 
पप्पू पंजाबी, थोक कारोबारी 


 *-जैसी आ रही वैसी दे रहे हैं* 
हमारे पास जैसी प्याज जिस कीमत में आ रही है उस पर अपना मुनाफा लगाकार वैसी ही बेच रहे हैं़। न कोई स्टॉक कर रहे हैं और न ही कोई मुनाफाखोरी। 
मोहन लाल, थोक कारोबारी 


 --- *20 रुपए का मुनाफा* 
हम तो मंडी से जिस भाव में प्याज लाते हैं उसे 20 रुपए प्रति किलो के मुनाफा से खेरीज में बेचते हैं। 80 की प्याज 100 में बेच रहे हैं। गली-गली जो घूमते हैं। इतना तो कमाएंगे ही, नहीं तो क्या खाएंगे?
नरेश कुशवाह, सब्जी विक्रेता